देहरादून। देवभूमि उत्तराखण्ड में चारधाम हिन्दूओं के प्रमुख धार्मिक आस्था के केन्द्र है। हर साल लाखों श्रद्धालु उत्तराखंड में स्थित चार धाम की यात्रा पर आते है। इस वर्ष भी यात्रा शुरू है. चारधाम की यात्रा को शुरू हुए एक महीने से अधिक का समय हो गया है। इस दौरान लोगों की सुविधा के लिए प्रशासन मुस्तैदी से काम कर रहा है। किन्तु हर वर्ष की तरह चारधाम यात्रा के दौरान लोगों की जान जाने का सिलसिला थमने का नाम नही ले रहा है। इस वर्ष अभी तक 80 से अधिक श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है। बीते गुरुवार को यमुनोत्री और गंगोत्री धाम की यात्रा पर आए दो श्रद्धालु की ह्रदय गति रुकने से मौत हो गई। एक मृतक तमिलनाडु और दूसरा मृतक मध्य प्रदेश का रहने वाला था. दोनों धाम में अब तक 12 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है. लेकिन ऐसा क्या हो रहा कि लोगों की मौत हो रही है।
बता दें कि हर साल मई में चारधाम की यात्रा शुरू होती है। यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की मौत का मामला हर साल सामने आता है। किन्तु इस बार यह आंकड़ा डरा देने वाला प्रतीत हो रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस साल अब तक 80 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है। अधिकांश मौत ऑक्सीजन की कमी, हार्ट अटैक और सांस लेने में तकलीफ होने के कारण हुई है।
यहां गौर करने लायक यह है कि चारधाम के चारों मंदिर समुद्र तल से 3 हजार से साढ़े तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर है। पहाड़ों पर जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ती है। हवा में ऑक्सीजन का लेवल कम होता जाता है। वैसे समुद्र तल पर हवा में ऑक्सीजन की मात्रा 21 फीसदी होती है। लेकिन 3000 मीटर की ऊंचाई पर यह स्तर काफी कम हो जाता है। इसे मेडिकल भाषा में हाइपोक्सिया कहते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि बिना तैयारी के ऊंचाई पर चढ़ने से एक्यूट माउंटने सिकनेस का खतरा बढ़ा जाता है, जिसके लक्षणों में सिरदर्द, चक्कर आना, उल्टी और सांस फूलना शामिल हैं।
