उत्तराखंड

भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का पर्व है; शिवरात्रि महापर्व: स्वामी रामभजन वन 

****डरबन में शिवरात्रि महापर्व की धूम, नागरी प्रचारिणी सभा विष्णु मंदिर में मनाया जाएगा शिवरात्रि महोत्सव

हरिद्वार/डरबन। श्री तपोनिधि पंचायती अखाड़ा निरंजनी के अंतरराष्ट्रीय संत स्वामी रामभजन वन महाराज ने कहा शिवरात्रि महापर्व भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का पर्व है। भारत ही नहीं संपूर्ण विश्व में रहने वाले सनातनी इस पर्व को धूमधाम से मनाते चले आ रहे हैं। इस कड़ी में गत वर्षों की भांति इस वर्ष भी शिवोपासना संस्थान डरबन, साऊथ अफ्रीका के तत्वावधान में नागरी प्रचारिणी सभा, विष्णु मंदिर में बुधवार, 26 फरवरी 2025 को शिवरात्रि महापर्व श्रद्धा-भक्ति एवं हर्ष -उल्लास के साथ धूमधाम से मनाया जा रहा है। कार्यक्रम की जानकारी देते हुए स्वामी रामभजन महाराज ने बताया कि बताया गया कि दो दिवसीय कार्यक्रम के पहले दिन बुधवार, 26 फरवरी को शाम 6 बजे से लेकर गुरुवार 27 फरवरी को प्रातः 6 बजे तक भगवान महादेव के शिवलिंग का रूद्राभिषेक, चार पहर का पूजन होगा। इसके साथ भजन-कीर्तन, हवन, भोग प्रसाद के उपरांत जलपान वितरण की व्यवस्था की गई है। प्रेस को जारी बयान में स्वामी रामभजन वन महाराज कहा कि हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है। हर साल फाल्गुन मास के फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखने का विधान है। मान्यता है कि इस दिन शिवलिंग में मात्र जलाभिषेक करने से शिव जी प्रसन्न होते हैं और अपने साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी को सुबह 11 बजकर 08 मिनट पर शुरू होगी और जिसका समापन 27 फरवरी को सुबह 8 बजकर 54 मिनट पर होगा। आमतौर पर अधिकतर व्रत पर उदया तिथि का विशेष महत्व है। लेकिन महाशिवरात्रि में रात्रि के पूजन का विधान है इसलिए 26 फरवरी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। स्वामी रामभजन वन महाराज ने कहा शास्त्रों के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इसी के कारण इस दिन शिव-पार्वती जी की पूजा करने के साथ व्रत रखने का विधान है। इसके साथ ही शिव जी का जलाभिषेक करने से वह अति प्रसन्न होते हैं।

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