उत्तराखंड

संकल्प से सफलता तक: माया देवी की बकरी पालन से आत्मनिर्भरता की प्रेरक यात्रा

हरिद्वार जनपद के भगवानपुर विकासखंड के शाहजहांपुर गांव की माया देवी कभी एक साधारण गृहिणी थीं। जो मंगलमय सीएलएफ के सिमरन स्वयं सहायता समूह की सक्रिय सदस्य है। उनके पास ना कोई आय का स्रोत था और ना ही व्यवसाय करने का कोई अनुभव। आर्थिक तंगी के कारण घर चलाना बेहद कठिन हो गया था। लेकिन आज वही माया देवी अपने गांव की महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। वे अब एक सफल महिला उद्यमी हैं, जिन्होंने अपने आत्मविश्वास, मेहनत और सही मार्गदर्शन के बल पर अपनी पहचान बनाई है।

माया देवी के जीवन में यह सकारात्मक बदलाव ग्रामोत्थान परियोजना (रीप) के माध्यम से आया। वर्ष 2023-24 में उन्होंने परियोजना के अंतर्गत एकल कृषि उद्यम गतिविधि में “बकरी पालन” व्यवसाय के लिए आवेदन किया। परियोजना की सहायता से उनकी कुल ₹3 लाख की व्यवसायिक योजना तैयार की गई, जिसमें ₹75,000 की अनुदान राशि, ₹75,000 उनका स्वयं का अंशदान और ₹1,50,000 बैंक ऋण के रूप में शामिल था।

इस वित्तीय सहयोग से माया देवी ने 10+1 बकरियों की एक इकाई स्थापित की। इस इकाई के माध्यम से वे अब प्रति अर्धवार्षिक (छः माह) ₹25,000 से ₹30,000 तक की आय अर्जित कर रही हैं। इस आय से न केवल उनका परिवार सुचारू रूप से चल रहा है, बल्कि उन्होंने अपने बच्चों की शिक्षा और परिवार की अन्य आवश्यकताओं को भी बेहतर ढंग से पूरा करना शुरू कर दिया है।

माया देवी की सफलता इस बात का प्रमाण है कि अगर महिलाओं को सही दिशा और सहयोग मिले तो वे किसी भी कठिन परिस्थिति को पार कर आत्मनिर्भर बन सकती हैं। उनकी कहानी आज शाहजहांपुर गांव ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की महिलाओं को यह संदेश देती है कि हर चुनौती के पीछे एक नई संभावना छिपी होती है। माया देवी आज सामाजिक बदलाव की प्रतीक बन चुकी हैं और उनकी यह यात्रा सैकड़ों महिलाओं को आगे बढ़ने की राह दिखा रही है।

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