उत्तराखंड

हर की पौड़ी पर भ्रष्टाचार और कानून उल्लंघन, करोड़ों का राजस्व नुकसान

* फूल फ़रोशी के ठेकों में गड़बड़ी, गंगा की पवित्रता खतरे में, प्लास्टिक और पॉलिथीन की बिक्री जारी

हरिद्वार। हर की पौडी के प्रतिबंधित तीर्थस्थल पर नगर निगम के कारण न केवल एनजीटी (ग्रीन नेशनल ट्रिब्यूनल) के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है, बल्कि लाखों तीर्थयात्रियों की धार्मिक भावनाओं के साथ भी खिलवाड़ हो रहा है। एनजीटी ने गंगा की स्वच्छता बनाए रखने के लिए साफ निर्देश दिए थे कि गंगा में फूल और प्लास्टिक पॉलिथीन का प्रतिबंधित-निषिद्ध किया जाए, ताकि पवित्र जल को प्रदूषित न किया जा सके। इसके बावजूद हर की पौडी पर यह आदेश पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है और नगर निगम के अधिकारियों के संरक्षण में यह चल रहा है।
गंगा के जल की पवित्रता बनाए रखने के लिए एनजीटी द्वारा जारी किए गए अदेशो का उल्लंघन पिछले कुछ समय हो रहा है। विशेष सुत्रो ने बताया है कि नगर निगम की मेयर किरण जैसल और अधिकारियों की मिली भगत के कारण हर की पौडी पर प्लास्टिक पॉलिथीन बिक रही है। हर की पौडी पर फूलों फ़रोशी के ठेको से नगर निगम को भारी भरकम इनकम होती रही है यह इनकम करीब 3 से 4 करोड़ रुपये थी, जो हर साल नगर निगम के राजस्व में बड़ा योगदान देती थी।
लेकिन इस बार एनजीटी के ऑर्डर के कारण फूल पड़ोसी के ठेकों का ठेका नहीं दिया गया था। फिर भी नगर निगम ने बिना किसी कागजी कार्रवाई के और प्रतिदिन के हिसाब-किताब से फूल फ़रोशी के ठेके दिए हैं, जिससे नगर निगम को भारी राजस्व हानि हो रही है। यह केवल नगर निगम के के नियमो का ही उलंघन नही है, बल्कि हर हर की पौडी की मान मर्यादा एवम गंगा के जल की स्वच्छता और पवित्रता को भी खतरे में डालता है। नगर निगम और मेयर किरण जैसल के इस क्र्त्य से पवित्र स्थल की स्थिति गंभीर रूप से प्रभावित हो रही है।
नगर निगम की ओर से इस मामले को लेकर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। नगर निगम के मेयर और अधिकारियों की ओर से इस विषय पर कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया गया है, जबकि इस वजह से नगर निगम की धज्जियाँ उड़ रही हैं। लेकिन नगर निगम के कुछ अधिकारी और कर्मचारी इस मामले को लेकर बाज नही आ रहे हैं बल्कि इस अवैध करोबार में शामिल हो कर नगर निगम और गंगा को नुक्सान पहुंचा रहे हैं।
हर की पौडी पर अवैध करोबार में भी बढ़ोतरी हो रही है। यहां सैकडो जगह फूल फ़रोशी के ठेके, प्लास्टिक, पॉलिथीन, की बिक्री बिना किसी रोक-टोक हो रही है। जबकि यह एनजीटी के लिए अस्वीकृत और नगर निगम के नियमो के विपरीत है, इसमें कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। हर की पौड़ी से राजस्व पर फूलों की बिक्री से नगर निगम को करोड़ों रुपये का राजस्व प्राप्त होता है, लेकिन इससे नुकसान हो रहा है और पवित्र गंगा की स्वच्छता पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।
गंगा का जल लगतार प्र्दुशित हो रहा है और धार्मिक दृष्टिकोण से एक गंभीर मसला बन चुका है। जब यहां आस्थावान गंगा स्नान करते हैं, तो उनका यह अधिकार बनता है कि वे एक स्वच्छ और पवित्र स्थल पर पूजा करें। मगर नगर निगम की कार्यशैली के कारण यह स्थल अब एक गंदगी और प्रदूषण से भरपूर स्थान बन गया है।
इसके अलावा नगर निगम की नाकामी ने इस अवैध करोबार को बढ़ावा दिया है। पिछले कुछ वर्षों में नगर निगम ने हर हर की पौड़ी की स्वच्छता पर ध्यान नहीं दिया है, जिससे यहां की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। नगर निगम के अधिकारियों ने इस मामले में न केवल धार्मिक श्रद्धालुओं को परेशान किया है, बल्कि पवित्र गंगा की स्वतंत्रता को भी खतरे में डाल दिया है।
नगर निगम द्वारा इन ठेकों के लिए दिए गए सुझाव के बावजूद नगर निगम और राज्य सरकार को इस मुद्दे पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। यदि यह स्थिति ऐसी ही बनी रही तो हर की पौडी और गंगा की स्वतंत्रता पर गंभीर संकट पैदा हो सकता है। नगर निगम और मेयर किरण जैसल को चाहिए कि वे इस अवैध कारोबार के खिलाफ ठोस कदम उठाएं और इस पवित्र स्थल को फिर से साफ-सुथरा बनाए रखें।
अंत में यह कहा जा सकता है कि नगर निगम और मेयर के कारण हर की पौड़ी की पवित्रता पर आंच आ रही है। यदि इस पर जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो न केवल धार्मिक स्थलों की पवित्रता को नुकसान होगा, बल्कि स्थानीय प्रशासन की विश्वसनीयता भी प्रभावित होगी।

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