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आपदाओं से हुए नुकसान की भरपाई के लिए साधु संत करेंगे योगदान

-श्राद्ध पक्ष के चलते अर्द्धकुंभ मेले स्वरूप और तारीखों को लेकर नही हुई कोई चर्चा

हरिद्वार/सचिन पालीवाल। 2027 अर्द्धकुंभ मेले को लेकर रविवार को निरंजनी अखाड़े साधु संतों की बैठक बुलाई गई लेकिन श्राद्ध पक्ष के चलते अर्द्धकुंभ मेले स्वरूप और तारीखों को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई। बैठक में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी, महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरी महाराज और अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष बलवंत सिंह महाराज समेत कई साधु संतों ने शिरकत की। इस दौरान सभी साधु संतों ने उत्तराखंड में आ रही आपदाओं को लेकर चिंता व्यक्त की और आपदा के मृतकों की आत्मशांति की कामना की। साधु संतों ने तय किया कि उत्तराखंड में आ रही आपदाओं के बाद हुए नुकसान की भरपाई के लिए सभी साधु संत योगदान देंगे। सभी साधु संत राहत बचाव के लिए धन एकत्रित करेंगे और आपदा पीड़ितो की मदद करेंगे।
इस दौरान अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरिगिरी महाराज ने कहा कि श्राद्ध पक्ष चल रहे हैं और श्राद्ध पक्ष समाप्त होने के बाद कुंभ मेले की घोषणा की जाएगी। जल्द ही अखाड़ा परिषद की अगली बैठक की घोषणा की जाएगी। उस बैठक में सभी अखाड़ों के साधु संतों को बुलाया जाएगा और उसी बैठक में अर्द्धकुंभ मेले की चर्चा की जाएगी। बैठक में पहाड़ में सड़क, शिक्षा और चिकित्सा ये तीन एजेंडे रहे हैं। बैठक का उद्देश्य है कि उत्तराखंड में आ रही आपदाओं पर साधु संत, सरकार की मदद करेंगे। सरकार जितना चाहेगी साधु संत पहाड़ में सड़कें, कॉलेज और अस्पताल बनाने उतनी मदद करेंगे।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि इस समय पूरे उत्तराखंड में आपदा आई हुई है। इस आपदा में जान माल की हानि हुई है। इसलिए सभी साधु संतों ने उत्तराखंड के लिए कुछ करने का निर्णय लिया है। केंद्र और राज्य सरकार तो राहत बचाव के लिए पीड़ितों की मदद कर ही रही है लेकिन साधु संतों के साथ साथ सभी लोगों का भी दायित्व बनता है कि आपदा पीड़ितो की मदद की जाए। अगली बैठक में सभी साधु संतों को बुलाया जाएगा और डोनेशन इकट्ठा करके मुख्यमंत्री को भेजी जाएगी।

बैठक में श्री महंत रामरतन गिरि, श्री महंत नारायण गिरि महाराज, श्रीमहंत बलवंत सिंह, महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद, रविपुरी महाराज और महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरि, श्रीमहंत मोहन भारती महाराज, श्रीमहंत शैलेन्द्र गिरि, महेश पुरी महाराज, मंत्री श्रीमहंत ओम भारती महाराज, महामंडलेश्वर वीरेंद्रानंद गिरी महाराज, महाकाल गिरि महाराज समेत कई साधु संत उपस्थित रहे।

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