Breakingउत्तराखंडउत्तराखंडधार्मिकशिक्षाहरिद्वार

अंतर्राष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन में उपस्थित सीएम धामी

-पूर्व सीएम निशंक व अन्य अतिथिगण।
हरिद्वार।
उत्तराखंड संस्कृत विवि की आेर से संस्कृत अकादमी में आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन के समापन में मुख्य अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री पुष्कर ङ्क्षसह धामी ने संस्कृत के उत्थान और विकास के उच्चस्तरीय आयोग के गठन की घोषणा की। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा के आधार पर ही प्राचीन मानव सभ्यताआें का विकास संभव हो सका। हम सभी को ज्ञात है कि विश्व की अधिकतर भाषाआें की जड$ें किसी न किसी रूप में संस्कृत से ही जुड$ी हुई हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सनातन संस्कृति के इतिहास और वैदिक काल को देखें तो समस्त वेदों, पुराणों और उपनिषदों की रचना संस्कृत में ही की गई है। कहा कि संस्कृत भाषा अनादि और अनंत है, और माना जाता है कि संस्कृत का आविष्कार देवताआें ने किया, इसीलिए इसे देववाणी भी कहा जाता है। उन्होंने कहा कि उन्नीसवीं शताब्दी में जब कुछ विदेशी विद्वान भारतीय ज्ञान परम्परा के संपर्क में आये तब वे ये देखकर आश्चर्यचकित रह गए कि यहाँ की प्राचीन ऋषि—परंपरा, वेद, उपनिषद, दर्शन, गणित, खगोल, साहित्य और व्याकरण जैसे विषयों का कितना व्यापक और गहरा ज्ञान संस्कृत भाषा में सुरक्षित है। कहा कि मैंने, अपने स्कूल के दिनों में कक्षा 9वीं तक संस्कृत भाषा पढ$ी है। उस समय सीखी गई श्लोक-पंक्तियाँ, व्याकरण के मूलभूत नियम और संस्कृत की मधुरता आज भी मुझे प्रेरित करती है। परंतु उसके बाद बोलने का अभ्यास नहीं रहा और अब समय नहीं मिल पाता। मुख्यमंत्री ने कहा कि अपनी पढ$ाई के दौरान याद किए संस्कृत श्लोक को सुनाया है। जिसका समारोह में मौजूद लोगों को तालियां बजाकर स्वागत किया।
अतिविशिष्ट अतिथि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि उत्तराखंड देश का पहला एेसा राज्य है, जिसने संस्कृत को द्वितीय राजभाषा घोषित किया है। उन्होंने बताया कि देवभूमि उत्तराखंड प्राचीन काल से ही भारतीय ज्ञान परंपरा का एक ऊ र्जामय एवं महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। संस्कृत के महत्व पर चर्चा करते हुए निशंक ने कहा कि संस्कृत मात्र एक भाषा नहीं अपितु यह भारत की आत्मा है। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित सभी संस्कृत प्रेमियों से पूरी निष्ठा एवं लगन से संस्कृत के प्रचार प्रसार की अपील की।
कार्यक्रम के सारस्वत अतिथि एवं सचिव संस्कृत शिक्षा दीपक कुमार गैरोला ने कहा कि इस अंतरराष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन का विषय अत्यंत सार्थक है। यह विषय आज के ज्ञान आधारित वैश्विक परिवेश में अत्यंत प्रासंगिक भी है। उन्होंने बताया कि संस्कृत मात्र एक भाषा नहीं अपितु यह भारत की सांस्कृतिक स्मृति, वैज्ञानिक चेतना और आध्यात्मिक दर्शन का आधार है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में विश्व के 1१ देशों के विद्वानों की उपस्थिति इस बात का प्रमाण है कि संस्कृत का प्रभाव वैश्विक है। संस्कृत भाषा ने सदैव मानवता को जोड$ने का काम किया है, इसमें निहित वसुधैव कुटम्बकम् का भाव आज पूरे विश्व के लिए बंधुत्व की एक मिसाल है। कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि एवं विदेश मंत्रालय की सचिव डा. नीना मल्होत्रा ने कहा कि संस्कृत प्रेमियों का यह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन संस्कृत के प्रचार प्रसार के लिए एक ठोस कदम साबित होगा।
सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए क्षेत्रीय रानीपुर विधायक आदेश चौहान ने विचार रखे। विवि के कुलपति प्रो. दिनेश चंद्र शा ी ने अतिथियों का स्वागत किया और कुलसचिव दिनेश कुमार ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। संचालन डा. सुमन भट्ट और डा. प्रकाश पंत ने किया।
इस असवर पर विदेश मंत्रालय भारत सरकार की सचिव( दक्षिण) डा.नीना मल्होत्रा, रुड$की विधायक प्रदीप बत्रा, दर्जाधारी मंत्री श्यामवीर सैनी, विवि की पूर्व कुलपति प्रो. सुधारानी पांडे, संस्कृत अकादमी के सचिव प्रो. मनोज किशोर पंत, प्रो. चांद किरण सलूजा, डा.वाजश्रवा आर्य, प्रो. सविता मोहन, प्रो. दिनेश चमोला, प्रो. मोहन चंद्र बलोदी, प्रो. रामरत्न खंडेलवाल, प्रो. एलएन जोशी, प्रो. अरङ्क्षवद्र नारायण मिल, प्रो.ङ्क्षबदुमति, ड$ मनीषी रावत,डा. श्वेता अवस्थी, डा. उमेश शुक्ला, डा.अजय परामर, डा. अनूप बहुखंडी आदि मौजूद रहे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!