लंढौरा (हरिद्वार)। चमन लाल पीजी कॉलेज के स्थापना दिवस पर आयोजित व्याख्यान समारोह में मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ. बी.के.एस. संजय ने कहा कि जिनके जीवन में कोई लक्ष्य नहीं है, उनकी सफलता की संभावना बेहद कम होती है। उन्होंने स्वास्थ्य, शिक्षा एवं आजीविका को जीवन का केंद्रीय भाग बताया और कहा कि नई पीढ़ी को सपने देखने के साथ उन्हें पूरा करने के लिए अटूट प्रयास करना चाहिए। चमन लाल महाविद्यालय में शिक्षा सेवा के 10 वर्ष पूर्ण होने पर स्थापना दिवस व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। जिसमें छात्र लक्ष्य शर्मा ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत करके सबका मन मोह लिया।
मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता पद्मश्री डॉ. बी.के.एस. संजय ने महाविद्यालय स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर शपथ दिलाई कि हम सबके हित में यातायात के नियमों को सीखेंगे और उनका पालन करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकारें भोजन, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं व्यापार के सिद्धांत पर चल रहीं हैं, इसके केंद्रीय तत्व के रूप में सभी को न्यूनतम दरों पर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं मिलनी चाहिए। उन्होंने छात्रों से कहा कि जिनमें लगन है वे हर कार्य कर सकते हैं, उन्हीं को सफलता प्राप्त होती है। यह ध्यान रहे कि हमें प्रकृति से लडना नहीं है, अपितु प्रकृति के साथ चलना है। उन्होंने कहा कि शिक्षा भी शिक्षकों की गुणवत्ता पर निर्भर होती है। शिक्षकों का कार्य सदैव सराहनीय है क्योंकि शिक्षक छात्र को सदैव देता ही है, उससे लेता नहीं है। शिक्षा के दान से बड़ा दान कोई नहीं है। उन्होंने गुरू के रूप में आपने द्रोणाचार्य, वाल्मीकि और महर्षि गौतम का उदाहरण भी दिया और कहा कि गति ही जीवन है, ठहराव मृत्यु है। जो ठहर गया उसका भाग्य भी ठहर जाता है।
विशिष्ट वक्ता डॉ. गौरव संजय ने कहा कि सड़क सुरक्षा हमारे लिए सबसे बडी प्राथमिकता होनी चाहिए। कोरोना जैसी महामारी से इतनी मृत्यु नहीं हुई हैं, जितनी कि प्रत्येक वर्ष सड़क दुर्धटना से होती है। हर साल 5 लाख दुर्घटनाग्रस्त लोगों में से 3 लाख लोग शारीरिक रूप से अक्षम हो जाते है। दुर्घटना होने का सबसे बड़ा कारण शराब पीकर वाहन चलाना, ड्राइविंग के दौरान फोन पर बात व मैसेज करना, गति तेज रखना होते हैं। उन्होंने बताया कि गाड़ी चलाते समय सीट बैल्ट का प्रयोग, स्पीड लिमिट का ध्यान और यातायात के नियमों का पालन जरूरी है। इसी से कीमती जिंदगी बचेंगी।
महाविद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष राम कुमार शर्मा ने कहा कि इस महाविद्यालय की नींव ग्रामीण क्षेत्र की परेशानियों को देखते हुए 2013 में रखी गई थी, बीते दस वर्षों में यहां से कई हजार छात्र-छात्राओं ने उच्च शिक्षा प्राप्त कर अपने जीवन को संवारा है। यह छात्रों के लिए तपस्थली स्वरूप है। प्राचार्य डॉ. सुशील उपाध्याय ने कहा कि आज हम सभी के लिए सौभाग्य की बात है कि दस वर्ष में महाविद्यालय की छात्र संख्या 300 से बढ़कर 3000 हो गई है, प्रबंध समिति के अथक प्रयत्न के बिना यह कार्य संभव नहीं था। ग्रामीण क्षेत्र में महाविद्यालय न होने के कारण छात्रों को अधिक परेशानी का सामना करना पड़ता था। उन्हें बहुत दूर पढ़ाई के लिए जाना पड़ता था। जिससे पैसा और समय अधिक लगता था।
इस मौके पर अतिथियों ने महाविद्यालय की पत्रिका ‘चमन संदेश‘ के नवीन अंक का विमोचन किया। इतिहास विभाग की छात्रा शालू को सर्वाेच्च अंक प्राप्त करने पर पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. नवीन त्यागी ने किया। इस अवसर पर प्रबंध समिति के सचिव अरुण कुमार हरित, कोषाध्यक्ष अतुल हरित, आई.क्यू.ए.सी. समन्वयक डॉ. दीपा अग्रवाल, सांस्कृतिक समिति की प्रभारी डॉ. श्वेता, डॉ. अपर्णा शर्मा, डॉ. सूर्यकांत शर्मा, श्री आशुतोष शर्मा, डॉ. अनिता शर्मा आदि सहित अनेक प्रमुख लोग उपस्थित थे।