हरिद्वार(अमित शर्मा)।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, संपर्क विभाग द्वारा, अधिवक्ता सम्मेलन का आयोजन आज सरस्वती विद्या मंदिर, सेक्टर 2 भेल में किया गया। कार्यक्रम की
अध्यक्षता – डॉ सुनीता वर्मा (निवर्तमान DSP) ने की।
मुख्य वक्ता – श्रीमान लोकपाल जी (सेवानिवृत्त माननीय न्यायाधीश, उत्तराखंड उच्च न्यायालय) रहे। इस सम्मेलन का
विषय- 1 जुलाई से लागू हुए 3 नए कानून- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय दण्ड संहिता, भारतीय साक्ष्य संहिता, के विषय में समाज में जागरूकता।
कार्यक्रम का प्रारंभ श्री अमित चौहान, जिला संपर्क प्रमुख, हरिद्वार जिला के द्वारा सभी अतिथियों के परिचय से किया गया।
इसके उपरांत विभाग संपर्क प्रमुख श्री रोहिताश कुंवर जी ने संघ का परिचय देते हुए पिछले 99 वर्षों की संघ यात्रा का वर्णन किया।
प्रांत संपर्क प्रमुख श्री अनिल वर्मा जी ने संघ के संपर्क विभाग का परिचय कराते हुए संघ के शताब्दी वर्ष में पंच परिवर्तन का वर्णन किया।
मुख्य वक्ता सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति श्री लोकपाल जी ने बताया कि
देश 1947 में स्वतंत्र हो गया था किंतु उसके बाद भी अंग्रेजों के समय के 1860 के कानून, जो कि राजसत्ता द्वारा भारत पर थोपे गए थे, लागू रहे।
वर्तमान सरकार ने सोचा कि उधार के कानून के स्थान पर स्वयं के कानून होने चाहिए। 1 जुलाई से नए कानून प्रभाव में आ गए।
IPC और CrPC में अनेक कमियां थीं , जिनके कारण आज न्याय के लिए वर्षों तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है, जेलें अपराधियों से भरी पड़ी है। 1973 में CrPC में कुछ सुधार हुए किंतु फिर भी अधिक लाभ नहीं हुआ।
राजनीतिक विपक्ष द्वारा भारतीय न्याय संहिता के भारत शब्द पर आपत्ति जताते हुए बहिष्कार किया गया।
124 धारा (राजद्रोह) जो पहले लागू थी, उसको चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय में केस किया गया। सरकार ने इसको हटाने के लिए अपनी सहमति दी। अब उसे आतंकवाद के अन्तर्गत लाया गया है।
• वर्तमान कानून में भी सामाजिक सेवा को सजा के रूप में पुनर्स्थापित किया है।
Trial in absentia (अनुपस्थिति में) भी केस चलेगा।
नए कानून में पुरुष, महिला के साथ-2 तृतीय लिंग को भी सम्मिलित किया गया है।
• भारतीय साक्ष्य संहिता के अंतर्गत पकड़े गए सामान की वीडियो रिकोर्डिंग होगी जिससे सजा मिलने की संभावना बढ़ेंगी।IPC में काजा मिलने का प्रतिशत बहुत कम था। नए कानून में 3 साल में ट्रायल पूरा होना है, इससे न्यायालय पर बोझ कम होगा।
IPC में ट्रायल लगभग 5 साल में लेता था, किन्तु अपील 20-20 साल तक चलती थीं।
• FIR (प्राथमिकी) दर्ज कराना भी आसान हो गया है।
Mob Lynching और आतंकवाद के लिए भी अच्छे प्रावधान हैं।
करत -2 अभ्यास के जड़मत होत सुजान
नए कानून भी शोघ्र ही याद हो जाएंगे
कार्यक्रम की अध्यक्षा डॉक्टर सुनीता जी ने बताया कि नए कानूनों में सभी के लिए पारदर्शिता बढ़ी है। तकनीक का प्रयोग बढ़ा है। न्यायालयों के लिए समय बचेगा, जनता को परेशान कम होना पड़ेगा। एडवोकेट बंधुओं को नए कानूनों के लिए जनता को विश्वास दिलाना चाहिए, ये हितकर हैं।
कार्यक्रम का संचालन श्री ज्ञानेश्वर ठकराल, न्यायिक श्रेणी प्रमुख, सम्पर्क विभाग ने किया।
अंत में श्री अमित शर्मा, नगर संपर्क प्रमुख, हरिद्वार ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया।
कार्यक्रम में हरिद्वार विभाग प्रचारक श्री चिरंजीव जी, जिला प्रचार प्रमुख श्री देवेश जी, अधिवक्ता पंकज जी एवं अधिवक्ता प्रियांश जी, सह प्रमुख न्यायिक श्रेणी, संपर्क विभाग, अधिवक्ता परिषद के सभी अधिकारी गण, अन्य अधिवक्ता साथी, तथा समाज के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
श्री आशीष झा जी द्वारा मुख्य वक्ता को पुस्तक भेंट की गईं। श्रीमति अंजली माहेश्वरी द्वारा अध्यक्षा महोदया को पुस्तक भेंट की गई।
विभाग प्रचारक जी द्वारा RSS की वार्षिक प्रतिनिधि सभा के वृत्त निवेदन की पुस्तक मुख्य वक्ता जी को भेंट की गई।