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केदारनाथ उपचुनाव में आरएसएस की भूमिका ने बांधा बीजेपी के सिर जीत का सेहरा

रुद्रप्रयाग(ब्यूरो प्रमुख)। केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव न केवल सीएम पुष्कर सिंह धामी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बना हुआ था, बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उनके सहयोगी संगठनों के लिए भी ये सीट एक चुनौती बनी हुई थी।
यूपी में अयोध्या और उत्तराखंड में बद्रीनाथ सीट पर हार का मुंह देखने वाली भारतीय जनता पार्टी के ये भलीभांति मालूम था कि केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में जरा सी चूक भारी पड़ सकती है।
सूत्रों के मुताबिक आरएसएस ने चुनाव घोषित होने से पहले ही इस सीट पर अपनी रणनीतिक तैयारियां शुरू कर दी थी, संघ के वरिष्ठ प्रचारक और अधिकारियों ने शुरू में ही लगातार दस दिनों तक बैठके करके मतदाताओं का मिजाज भांप लिया था। बीजेपी में किसी भी तरह का भीतरघात न हो, इसके लिए व्यापक रणनीति बनाई गई ।
कांग्रेस के केदारनाथ को लेकर किए जा रहे दुष्प्रचार को निष्क्रिय करने जैसे विषय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और संघ के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच आपसी तालमेल से बहुत से जटिल विषय आसान हुए।
विपक्ष ने क्षेत्रवाद, केदारनाथ स्वर्ण मामला, व्यक्तिगत रूप से धामी पर प्रहार करने जैसे मामले उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
जानकारी के मुताबिक बीजेपी को संघ ने ही सनातन विषय पर अपना ध्यान केंद्रित कर चुनाव लड़ने की रणनीति अपनाने को कहा जिसका सकारात्मक परिणाम सामने आया। संघ का हमेशा से मानना रहा है कि सनातन या हिंदुत्व ही सबको एक साथ जोड़ता है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ अधिकारियों ने केदारनाथ विधान सभा क्षेत्र में अपने विद्यार्थी परिषद,विश्व हिंदू परिषद बजरंगदल, अधिवक्ता परिषद और अन्य सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर 564 बैठकें की और उनमें 10275 लोगों की उपस्थिति को दर्ज किया गया। इन छोटी बड़ी बैठकों से ही जनमानस में सनातन और राष्ट्रवाद के लिए समर्थन का माहौल बनता गया।
ये बैठके बीजेपी कार्यकर्ताओं से अलग से की गई।
जानकारी के मुताबिक सितंबर माह से ही केदारनाथ उपचुनाव की संरचना बनाई जाने लगी। इन बैठकों का लगातार फीडबैक प्रांत कार्यालय तक आया और उसी हिसाब से चुनाव की रणनीति बनाई जाती रही।
केदारनाथ विधानसभा के उपचुनाव में सीएम पुष्कर सिंह धामी के साथ साथ पीएम मोदी के द्वारा बाबा केदार नाथ के प्रति आस्था को देखते हुए आरएसएस ने इस चुनाव में प्रत्याशी चयन से लेकर मतदान के दिन तक अपनी राय और सुझावों के जरिए बीजेपी को सहयोग किया।
राजनीतिक लोग मानते आए है कि जब जब संघ चुनावो में बीजेपी के साथ लगा उसका मत प्रतिशत और जीत का प्रतिशत भी बढ़ कर आया। बीते समय में हरियाणा राजस्थान और अब महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव इसके उदाहरण रहे।
बीजेपी की उम्मीदवार आशा नौटियाल ने इस बार अपने चार चुनावों में सबसे ज्यादा वोट हासिल किए।
जिसतरह से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी इस चुनाव के लिए रणनीतिक तौर पर काम किया उससे भी इस सीट को निकालने की राह आसान हुई।
चुनाव प्रचार के दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं के अलावा सीएम धामी एक अलग से टीम केदारनाथ क्षेत्र में जुटी हुई थी और सीधे तौर पर सीएम से निर्देश ले रही थी स्वयं सीएम धामी सबकी राय मशविरे के साथ व्यक्तिगत संपर्क में जुटे रहे। बताया जाता है कि प्रचार थमते ही वे फोन से केदारनाथ में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ संवाद में जुट गए और उनका मनोबल बढ़ाते रहे।
बरहाल केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में जीत शानदार हुई और उसके पीछे संघ की ताकत का एहसास भी सभी को हो गया।

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