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सवाल-कहीं पुल टूटने का कारण अवैध खनन तो नही!

देहरादून। उत्तराखण्ड में मानसूनी सीजन के दौरान भू-धसाव, भू-स्खलन, पुलों व पुलियाओं का टूटना यूं तो आम बात है। लेकिन हर सीजन में नदियों पर बने इन पुलों के टूटने की घटनाए बताती है कि कहीं तो कुछ गड़बड़झाला है। लोगों का मानना है कि इन पुलों के नजदीक होने वाला खनन ही इन पुलों के टूटने का मुख्य कारण है, जिस पर प्रशासन भी मौन है।
यूं तो राज्य में अवैध खनन एक बड़ी समस्या है। इससे न सिर्फ राज्य के राजस्व को ठेंगा दिखाया जाता है बल्कि अवैध खनन के चलते बरसाती सीजन में क्षेत्रवासियों को भारी परेशानियोें का सामना करना पड़ता है। बीते कल पौड़ी जनपद के कोटद्वार में भारी बरसात के बीच मालन पुल के गिर जाने से 35 से ज्यादा गांवों का सम्पर्क टूट गया है। जिससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुल के उत्तर व दक्षिण दिशाओं में अवैध खनन के कारण गढ्ढे हो गये थे। जिस कारण बाढ़ का कटाव तेज होने पर पिलर की जड़े कमजोर होने के कारण पुल ढहा है। इससे पूर्व बीते वर्षो के दौरान मानसूनी सीजन में देहरादूनकृऋषिकेश के बीच रानीपोखरी क्षेत्र में एक बड़ा पुल टूट गया था। जिस दौरान भी स्थानीय लोगों का आरोप था कि पुल के आस पास हो रहे अवैध खनन के कारण ही यह पुल टूटा है। हालांकि सरकार ने इसकी जांच के आदेश भी दिये थे लेकिन फिर भी राज्य की नदियों और खास तौर पर पुलों के नजदीक होने वाले खनन पर सरकार अब तक कोई कार्यवाही नहीं कर सकी है। सूंत्रों का कहना है कि राज्य के कई पुलों के आस पास अब भी लगातार अवैध खनन का कार्य जारी है। लेकिन स्थानीय प्रशासन इस पर अंकुश लगाने में नाकामयाब है। सरकार को अगर इन पुलों की उम्र लम्बी करनी है तो उसे इन पुलों के आस पास होने वाले अवैध खनन पर लगाम कसनी होगी नहीं तो राज्य में अन्य पुलों को ध्वस्त होने से नहीं रोका जा सकेगा।

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