हरिद्वार(सचिन पालीवाल)।
पूर्व गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद जी ने मीडिया के माध्यम से देश की जनता के सामने अपने मन की बात साझा की।
राम मंदिर पर अपने विचार रखते हुए उन्होंने कहा राम मंदिर निर्माण के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा। बहुत यात्राएं निकालनी पड़ी। उस समय की सरकारें हमारे संघर्ष में और भी बाधा पहुंचा रही थी लेकिन इसके बावजूद हम आगे बढ़ते रहे। पूर्व महंत अद्वैतनाथ, पूर्व महंत रामचरण दास, नृत्य गोपाल दास जी महाराज, अशोक सिंघल जी इन लोगों के साथ इस आंदोलन को लेकर हम आगे बढ़े हैं। आंदोलन की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकी बाहरी आक्रांताओं ने सनातन संस्कृति को नुकसान पहुंचाया, हमारे मंदिरों को उन्होंने ध्वस्त किया। उन्होंने हमारी आस्था पर प्रहार किया। राम मंदिर पर आगे बोलते हुए उन्होंने कहा की राम मंदिर बनने के बाद लोगों को लग रहा है अब मथुरा और काशी में भी मंदिर बन जायेगा।
देश की आजादी के बाद तोड़े गए मंदिरों का निर्माण हो सकता था लेकिन तब की सरकारों ने कुछ नहीं किया। साधु संतो पर उन्होंने कहा इस आंदोलन से साधु संतो की लोकप्रियता बढ़ने लगी थी और ये कुछ लोगों को बर्दाश्त नहीं हुआ और साधु संतो पर झ्ठे मुकदमे दायर किए गए। जो ना तो इस आंदोलन से संबंधित थे और ना ही आंदोलन करने वाले व्यक्तियों से संबंधित थे।
अपने ऊपर लगे आरोपों पर उन्होंने कहा मुझे तो समझ ही नहीं आया मुझ पर महिला उत्पीडन का मुकद्दमा क्यों हुआ। अगर करना ही था तो मेरे राजनीतिक जीवन को लेकर करते। यह ऐसा आरोप था जिससे मेरी राजनीतिक या सामाजिक छवि नहीं बल्कि मेरी व्यक्तिगत छवि प्रभावित हुई है। 2010 से मेरी सक्रियता पर प्रभाव पड़ा और मैं राजनीतिक और सामाजिक जीवन से बिलकुल अलग थलग हो गया। मेरा उद्देश्य ना तो सत्ता प्राप्त करना था और ना ही शासन करना था बस राम मंदिर निर्माण मेरा उद्देश्य था।
मुझे रज्जू भैया ने चुनाव लडने के लिए कहा लेकिन मेरे मना करने के बाद भी उन्होंने मुझसे आग्रह किया और बदायूं से मैने चुनाव जीता।
पत्रकारों पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा मेरे खिलाफ जो मुकद्दमा हुआ उसकी तहरीर देने वाले पत्रकार ही थे और वो कोई सम्मानित पत्रकार नहीं थे बल्कि सोशल मीडिया चलाने वाले लोग थे। मेरे खिलाफ मेरे ही कॉलेज की दो छात्राओं से मुकद्दमा दर्ज करवाया गया और आज वे दोनों छात्राएं लज्जित महसूस करती हैं। मेरे खिलाफ किसी मुसलमान ने कोई तहरीर नहीं की ना ही कोई मुकद्दमा किया। मेरी जो राजनीतिक और सामाजिक छवि आगे बढ़ रही थी वो कुछ लोगों को बर्दाश्त नहीं हुई। मैं सनातन धर्म और संस्कृति को मजबूत और जागरूक करने के लिए प्रयासरत रहूंगा। भारत एक हिंदू और स्वाभिमानी राष्ट्र बने।
इस प्रेसवार्ता में उनके साथ भारत जागृति मिशन के अध्यक्ष अंशुल श्रीकुंज भी उपस्थित रहे।