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गंगा में बह रहे करोड़ों रुपए के निर्माणाधीन घाट

निर्माणाधीन घाटों की गुणवत्ता पर उठ रहे सवाल

-अधिकारी एक-दूसरे पर फोड रहे अनियमिताओ का ढिक़रा

अमित शर्मा
हरिद्वार।
कुंभ मेला 2027 की तैयारियों को लेकर गंग नहर पर मायापुर डाम से आगे सिंहद्वार तक करीब 38 करोड़ की लागत से 260 मीटर निर्माणाधीन घाट गंगा के बहाव में बह रहे है। गुणवत्ताहीन निर्माण सामग्री से बन रहे यह घाट निर्माण के साथ ही बहने व टूटने लग रहे है। जनता की गाढ़ी कमाई के करोड़ों रुपए पानी में बह गये है। जबकि अधिकारी एक-दूसरे पर आरोप—प्रत्यारोप लगा कर इतिश्री कर रहे है।
उत्तराखंड की जनता का दुर्भाग्य ही कहे कि  यहां पर अधिकारी अपनी मनमर्जी जनता का पैसा पानी में बहा देते है, और कोई पूछने वाला भी नहीं होता। करोड$ों के निर्माण कार्य फाइलों में ही पूरे हो जाते है, या फिर होते भी है तो गुणवत्ताहीन कार्य, जो एक वर्ष भी नही चल पाते। ताजा मामला हरिद्वार के सिंचाई विभाग का है। उत्तराखंड सिंचाई विभाग द्वारा हरिद्वार में डाम कोठी—अमरापुर घाट से ऋषिकुल, ऋषिकुल से सतनाम साक्षी घाट तक तथा भगत सिंह घाट से सिंहद्वार तक चार नये घाटों का निर्माण किया जा रहा है, जो गंगा बन्दी के समय से शुरू किया गया था। वैसे तो यह निर्माण ही अपने आप से कई सवाल खड़े कर रहा है। यूपी सिंचाई विभाग से बिना समन्वय बनाये बन रहे घाटों की गुणवत्ता बेहद खराब व घटिया निर्माण सामग्री का उदाहरण है निर्माणाधीन घाट गंगा के तेज बहाव में बहने व दरकने लगे है। इन घाटों पर कई जगह आरसीसी निर्माण बह गया है, जहां केवल लोहे के सरिये ही बच रहे है। तो कई जगह घाट की नींव ही गंगा में समा गयी है। अधिकांश निर्माण कार्य क्षतिग्रस्त हो गये हेंै। निर्माणाधीन घाटों का यह हाल नींव भरने के दौरान ही है तो आगे क्या होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। उत्तराखंड सिंचाई विभाग के निर्माण कार्य की यह गुणवत्ता भविष्य में तीर्थ यात्रियों की जान पर आफत बनकर टूट सकती हैं।
गंगा घाटों के बने बेस निम्न गुणवत्ता की सामग्री से बने होने के कारण दीपावली की रात को गंगा जल के प्रवाह के साथ ही टूट गए हैं। हालांकि बड$े अधिकारी पूरे मामले पर मौन साधे हुए हैं, शुरुआती दौर में उच्च टेक्नोलॉजी के  प्रयोग के आधार पर निर्माण कार्य किए जाने का दावा यहां पूरी तरह से खोखला दिखाई दे रहा है। उत्तराखंड सिंचाई विभाग के एक अधिकारी ने अनौपचारिक बातचीत में उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के अधिकारियों पर ठीकरा फोड$ते हुए कहा कि गंग नहर में क्षमता से अधिक जल प्रवाह छोड$ने के कारण निर्माणाधीन घाट टूट गए हैं।
इस बाबत अधिशासी अभियंता सिंचाई खंड हरिद्वार इंजी. ओमजी गुप्ता ने बताया कि चार नये घाटों का निर्माण चल रहा है। करीब 38 करोड़ की लागत से 26 मीटर लम्बे घाट बनाये जा रहे है। महज 1 दिन में इतने लम्बे घाटों की नींव तैयार करनी एक चुनौती थी, जिसे विभाग ने पूर्ण किया है। उन्होंने बताया कि एक घाट पर थोड़ा का पेंच है, जहां पर कंक्रीट बह गयी है, जो कि लास्ट दिन डाली गई थी। कहीं भी ऐसी अपरिहार स्थिति नही है, जो चिंताजनक हो। ठेकेदार काम कर रहा है, वह पेंच ठीक करा लिया जायेंगा। उन्होंने बताया कि बात चल रही है, संभवत जनवरी माह में या जब भी गंगा क्लोजिंग मिलेगी यह सभी कार्य ठीक तरीके से सुधार लिये जायेंगे।
वही यूपी सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता विकास त्यागी का कहना है कि उत्तराखंड सिंचाई विभाग के अधिकारी अपनी मनमर्जी कर रहे है, नये घाट निर्माण को लेकर यूपी सिंचाई विभाग से कोई एनओसी नही दी गयी, बावजूद इसके घाट निर्माण में इतनी जल्दबाजी की गयी है, जो समझ के परे है। उन्होंने बताया कि प्रतिवर्ष गंगा क्लोजिंग दशहरे की रात से छोटी दीपावली तक रहती है। इसी दौरान जो निर्माण कार्य व मरम्मत, सफाई आदि के कार्य होते है वह होने होते है। विभाग के अनुसार तय समय सीमा पर ही गंग नहर में जल छोड़ा गया है।

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