ऋषिकेश। उत्तराखंड किसान सभा ने सातवां दो दिवसीय राज्य सम्मेलन आयोजित किया। जिसकी अध्यक्षता अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह सजवान ने की। सम्मेलन में राज्य के विभिन्न जिलों से पहुंचे किसान प्रतिनिधियों ने खेती-किसानी की स्थिति, बढ़ती लागत, ग्रामीण बेरोजगारी और सरकार की नीतियों पर विस्तार से चर्चा की। रविवार को डोईवाला स्थित गन्ना समिति परिसर में आयोजित सम्मेलन के प्रथम दिन वक्ताओं ने कहा कि सरकार किसानों के बुनियादी सवालों से ध्यान हटाने के लिए योजनाओं और संस्थानों के नाम बदलने की राजनीति कर रही है। अंकिता भंडारी हत्याकांड में न्याय न मिलना प्रदेश की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है। वहीं मनरेगा जैसी जनकल्याणकारी योजना में बदलाव कर गरीब और ग्रामीण तबके के हितों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। किसान नेताओं ने कहा कि खेती लगातार कठिन होती जा रही है और किसान आर्थिक व सामाजिक दबाव में है। सम्मेलन में संयुक्त किसान मोर्चा के माध्यम से किसान हितों को लेकर संघर्ष तेज करने और संगठन को मजबूत करने का निर्णय लिया गया। अखिल भारतीय किसान सभा राष्ट्रीय महामंत्री बीजू कृष्णन ने कहा कि किसान और मजदूर विरोधी फैसलों से असंतोष बढ़ रहा है। जनहित की नीतियों से ही हालात सुधर सकते हैं। संगठन के माध्यम से किसानों की आवाज बुलंद की जाएगी। केंद्रीय सदस्य पुष्पेंद्र त्यागी ने अंकिता भंडारी प्रकरण में शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। किसान सभा अन्याय के खिलाफ लगातार आवाज उठाती रहेगी। गन्ना समिति उपाध्यक्ष हरभजन सिंह ने कहा कि किसानों की समस्याएं जमीनी हैं और समाधान भी वहीं से निकलेगा। नीतियां बनाते समय किसानों की राय को महत्व देना चाहिए I संयुक्त किसान मोर्चा संयोजक ताजेंद्र सिंह ताज ने कहा कि किसानों की एकता ही सबसे बड़ी ताकत है। संयुक्त किसान मोर्चा प्रदेशभर में किसान हितों को लेकर सक्रिय रहेगा। संगठित संघर्ष से ही सरकार पर दबाव बनेगा।




