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दीक्षा एवं ध्यान साधना से मिलती है रोग-कष्टों से मुक्ति: करौली शंकर महादेव

मिश्री मठमें 4 से 8 नवंबर तक पंचदिवसीय पूर्णिमा एवं देवभूमि रजत महोत्सव का होगा आयोजन

तंत्र क्रिया व योग दीक्षा हेतु देशभर से जुटेंगे हजारों साधक
रजत जयंती उत्सव में सम्मानित होंगे आंदोलनकारी
हरिद्वार। उत्तरी हरिद्वार स्थित मिश्री मठ में 4 से 8 नवंबर तक पंचदिवसीय पूर्णिमा एवं देवभूमि रजत उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। धार्मिक और आध्यात्मिक आस्था से जुड़ा यह महोत्सव इस बार विशेष होगा, जिसमें देश-विदेश से लगभग 30 हजार साधक तंत्र क्रिया योग दीक्षा हेतु भागीदारी करंेगे। साथ ही देश के कई प्रमुख संतगण व गणमान्य हस्तियां पंचदिवसीय कार्यक्रम की शोभा बढ़ायंेंगे।
मिश्री मठ के संस्थापक, योग व अध्यात्म के माध्यम से समूची दुनिया में भारतीय संस्कृति के संवाहक करौली शंकर महादेव ने प्रेसवार्ता में जानकारी देते हुए बताया कि दीक्षा एवं ध्यान साधना से रोग-कष्टों से मुक्ति मिलती है। साथ ही जीवन में नकारात्मकता समाप्त होती है। करौली शंकर महादेव ने कहा किकार्यक्रम में प्रतिदिन सुबह से शाम तक विशेष साधना, मंत्र दीक्षा, भजन संध्या और आध्यात्मिक प्रवचन आयोजित किए जाएंगे। इस दौरान मिश्री मठ की विशिष्ट आध्यात्मिक परंपरा के तहत साधकों को 21 स्तरीय तंत्र क्रिया योग की दीक्षा भी प्रदान की जाएगी।पहले दिन 4 नवंबर को भजन संध्या एवं ध्यान साधना, 5 नवंबर को सामूहिक हवन एवं मंत्र दीक्षा, 6 नवंबर को साधक महासम्मेलन एवं देवभूमि रजत उत्सव, 7 नवंबर को साधना एवं भजन संध्या और 8 नवंबर को साधना एवं समापन समारोह आयोजित होगा। उन्हांेने बताया कि तंत्र क्रिया योग साधना, इस आयोजन का प्रमुख हिस्सा होगी। जिसके माध्यम से साधक शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन का अनुभव कर सकेंगे। यह साधना श्री राधारमण शिष्य संप्रदाय की परंपरा से जुड़ी है। कहा कि मिश्री मठ द्वारा हर पूर्णिमा को विशेष साधना और दीक्षा कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। नए साधकों को दीक्षा दी जाती है, जबकि वरिष्ठ साधकों को उच्च स्तरीय साधना चयन हेतु आमंत्रित किया जाता है। अब तक दो लाख से अधिक साधक इस परंपरा से जुड़ चुके हैं। ये सभी साधक पारिवारिक जीवन में रहते हुए ध्यान, साधना और सेवा के माध्यम से आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक उन्नति का अनुभव कर रहे हैं। उत्सव में जीरो बैलेंस यानी शून्य में संतुलन ध्यान सत्र भी आयोजित होंगे। जिनमें साधकों को मन और चेतना के गहन संतुलन की अवस्था तक ले जाने का प्रयास किया जाएगा।
करौली शंकर महादेव ने कहा कि युवा पीढ़ी को सार्थक संस्कार व दिशा देने तथा नशा मुक्ति को राष्ट्रव्यापी अभियान बनाना संस्था का प्रमुख उद्देश्य है। जब हमारे बच्चें सद्मार्ग की ओर अग्रसर होंगे तो जीवन में अमूल-चूल परिवर्तन संभव है क्योंकि अधिकांश समस्याएं संस्कारों के अभाव से उत्पन्न होती है। उन्होंने कहा कि पदयात्रा के माध्यम से भी समाज का जन-जागरण का अभियान प्रारम्भ किया जायेगा। करौली शंकर महादेव ने कहा कि तंत्र शुद्धतम व्यवस्था है, ढांेग व आडम्बरों के चलते तंत्र को गलत दृष्टि से देखा जाता है।
उन्होंने श्रद्धालुओं और साधकों से अनुरोध किया है कि वे निर्धारित तिथियों में समयानुसार कार्यक्रम में शामिल होकर इस आध्यात्मिक पर्व का लाभ उठाएं।
रजत जयंती उत्सव में सम्मानित होंगे आंदोलनकारी
करौली शंकर महादेव ने बताया कि उत्तराखंड राज्य गठन के भी 25 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। सरकार भी इसे रजत जयंती उत्सव के रूप में मना रही है। इसलिए उनके द्वारा छह नवंबर को उनकी ओर से भी रजत जयंती उत्सव में उन आंदोलनकारियों को सम्मानित किया जाएगा, जिन्होंने राज्य निर्माण की लड़ाई में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कार्यक्रम की पूरी तैयारी कर ली गई है। इसलिए वो आमजन से अपील करते हैं कि पूर्णिमा एवं देवभूमि रजत उत्सव में भागीदारी कर अपना योगदान दें।
इस अवसर पर डाॅ. उमेश सचान, अनिरूद्ध शर्मा, सतपाल सिंह उपस्थित रहे।

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