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पहाड़ से पत्थर गिरने से प्राचीन भीमगोडा मंदिर क्षतिग्रस्त

हजारों साल पुराना स्वयंभू शिवलिंग टूटकर  कुंड में गिरा

 हरिद्वार ।

लगातार हो रही बरसात के कारण पहाड़ से भारी पत्थर टूट कर गिरने से प्राचीन भीमगोड़ा मंदिर का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया। हजारों साल पुराना स्वयंभू शिवलिंग भी टूट गया । गनीमत यह रही कि कोई जनहानि नहीं हुई। घटना के बाद क्षेत्र में रहने वाले लोगों में भय का माहौल बना हुआ है। इससे पूर्व भी पत्थर टूट कर लोगों के घरों में गिर चुके हैं । भीमगोडा मंदिर का इतिहास महाभारत कालीन से जुड़ा है ।

सोमवार दोपहर के समय अचानक प्राचीन भीमगोडा मंदिर के ऊपर से पहाड़ से पत्थर टूट कर मंदिर में गिरने लगे। पत्थर के साथ पेड़ भी टूट कर नीचे गिरे। दोपहर का समय होने के कारण मंदिर परिसर में कोई नहीं था । पत्थर का एक बड़ा टुकड़ा हजारों साल पुराने स्वयंभू शिवलिंग के ऊपर गिरा जिससे शिवलिंग का कुछ हिस्सा टूट कर भीमकुंड में गिर गया। शिवलिंग के बारे में बताया जाता है शिवलिंग को किसी ने स्थापित नहीं किया था बल्कि खुद ही जमीन से निकले थे । सोमवार को स्वयंभू शिवलिंग का टूटना अशुभ माना जा रहा है। आसपास के लोगों में भय का माहौल है। प्राचीन भीमगोडा मंदिर से कुछ ही दूरी में वर्ष 2008 में आवासीय भवन में पहाड़ से पत्थर के बड़े-बड़े टुकड़े गिरने से एक महिला की मौत हो गई थी जबकि कुछ लोग चोटिल भी हुए थे। तत्कालीन जिलाधिकारी आनंद वर्धन ने मौके पर पहुंच कर घटनास्थल का मौका मुआयना कर मंदिर के ऊपर पहाड़ का ट्रीटमेंट  कराने का आश्वासन दिया गया था। रुड़की आईआईटी के वैज्ञानिक अपने सर्वे में मनसा देवी पर्वत श्रृंखला को ट्रीटमेंट का सुझाव दे चुके हैं । सावन महीना शुरू होने से पहले प्राचीन भीमगोडा मंदिर में पहाड़ से पत्थर गिरने से शिवलिंग टूटने की घटना लोगों के मन में कई तरह की आशंकाएं पैदा कर रही हैं । उल्लेखनीय है प्राचीन भीमगोडा मंदिर का इतिहास महाभारत कालीन पांडवों से जुड़ा है। पांडवों ने इसी मार्ग से होते हुए स्वर्ग गए थे । प्यास लगने पर भीम ने गोडा मार कर इसी स्थान पर पानी निकाला था।  जिससे स्थल का नाम भीमगोड़ा प्रचारित हुआ । वर्तमान में भी वहां कुंड है जहां हमेशा जल बना रहता है । प्राचीन धरोहर को बचाने के लिए शासन स्तर पर कदम उठाने की जरूरत है।

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