-पर आश्वासन के सिवा कुछ हासिल न हुआ
देहरादून। उत्तराखंड राज्य गठन को आगामी 9 नवंबर को 25 साल पूरे होने जा रहे हैं। सत्ता में बैठे नेता और अधिकारी राज्य स्थापना के रजत जयंती समारोह में व्यस्त हैं और इस आयोजन का भव्य और दिव्य बनाने में जुटे हैं, वहीं जन सुविधाओं का अभाव झेल रही जनता 25 साल बाद भी सड़कों पर भटक रही है और पुलिस का उत्पीड़न झेल रही है।
सीमांत जनपद अल्मोड़ा की जनता अपने क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की मांग को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रही थी जब उसकी कोई बात नहीं सुनी गई तो लोगों ने राजधानी कूच का मन बनाया और बीते 24 अक्टूबर को वह राजधानी दून की ओर चल पड़े। उन्हें उम्मीद रही होगी कि उनके इस साहस की सरकार सराहना करेगी लेकिन 300 किलोमीटर की पदयात्रा कर जब वह दूनं पहुंचे तो उन्हें जोगीवाला में ही पुलिस द्वारा रोक दिया गया और राजधानी में नहीं घुसने दिया गया। सत्ता में बैठे लोगों को डर था कि यह लोग रजत जयंती समारोह में खलल डाल देंगे।
मुख्यमंत्री आवास जाने की जिद पर अड़े वह लोग किसी तरह मंगलवार सुबह गांधी पार्क तक तो पहुंच गए किंतु उन्हें यही से ज्ञापन उपजिलाधिकारी को सौंप कर वापस भेज दिया गया। जिसमें उन्होंने जिला अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सा सुविधाओं,ं उपकरणों तथा कर्मचारी और विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी दूर करने की मांग की है। भूख प्यास से त्रस्त यह आंदोलित लोग इसके बाद विधानसभा बैरिकेडिंग पर धरना देकर बैठे हैं तथा इन लोगों को बताया गया है कि मुख्यमंत्री दून में नहीं है लेकिन उन्होंने आपकी मांगे मानने का भरोसा दिलाया गया है।
इनकी मांगे मानी जाएगी या नहीं यह तो दीगर बात है लेकिन अपनी सरकार और उसके रवैये कों लेकर वह अत्यंत ही आहत है। इस पदयात्रा में शामिल कुछ महिलाओं का कहना है कि क्या इस सबके लिए ही अलग राज्य बनाया गया था। हम भूखे प्यासे 300 किलोमीटर पैदल चलकर यहां आए हैं और हमारी बात तक सुनने वाला कोई नहीं है। पुलिस द्वारा रोके जाने पर उन्होंने नाराजगी जताई है।




