Breakingउत्तराखंडउत्तराखंडहरिद्वार

शब्द गंगा साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच की काव्य गोष्ठी

-रुड़की, हरिद्वार, देहरादून व सहारनपुर से पधारे कवि
-’मैं चंदन वन के आसपास ही रहता हूँ, तुमको साँपों से डर न लगे तो आ जाना’
-प्रेस क्लब में आयोजित काव्य गोष्ठी में सम्मिलित कवियों को सम्मानित करते हुए
हरिद्वार।
धर्मनगरी के अपने स्वरूप से एक कदम और आगे आगे बढ़कर हरिद्वार बहुत तेजी से साहित्य नगरी के रूप में भी अपनी पहचान बनाता जा रहा है। साहित्य एवं रचनाधर्मिता अधिक से अधिक समृद्ध हो, इसके लिये सभी रचनाकारों के मध्य निरन्तर संवाद होते रहना आवश्यक है। साथ ही रचनाकारों को एक दूसरे की सार्थक व सकारात्मक समीक्षा भी करनी चाहिये। हरिद्वार के साहित्य एवं साहित्यकारों के सम्बन्ध में विचार साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच की आेर से हरिद्वार प्रेस क्लब के हुतात्मा गणेश शंकर विद्यार्थी सभागार में आयोजित व देर शाम सम्पन्न हुई। भव्य कवि गोष्ठी एवं साहित्यकार सम्मान समारोह में कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए देहरादून के 8४ वर्षीय वयोवृद्ध कवि असीम शुक्ल ने व्यक्त किये। साथ ही बाद उन्होंने अपना गीत हम चंदनवन के आसपास रहते है, तुमको साँपों से भय न लगे तब आ जाना सुना के श्रोताआें की वाहवाही भी लूटी। कार्यक्रम में आसपास के शहरों पधारे कवियों के साथ—साथ हरिद्वार के स्थानीय रचनाआें ने भी अपनी—अपनी विधाआें में काव्यपाठ कर तालियाँ बटोरी। शब्द गंगा के संस्थापक व कार्यक्रम संयोजक, वरिष्ठ पत्रकार व कवि ब्रिजेन्द्र हर्ष के कुशल संचालन में आयोजित गोष्ठी के अंत में सभी प्रतिभागी कवियों को सम्मान पत्र, पुष्पमाल, अंगव तथा उपहारों के साथ सम्मानित किया गया।
डा. मनोरमा नौटियाल में ने गजल— बेसबब बिन बात अपना बेकरारियाँ, लम्हा—लम्हा रात दिन खघ्ुमारियाँ से गोष्ठी की शुरुआत की। गीत रखते हुए सहारनपुर के डॉ विजेन्द्र पाल शर्मा के कहा— आज छप्पन भोग हैं पर तुम नहीं हो, सब सफल संयोग हैं पर तुम नहीं हो। अम्बर खरबंदा ने कहा— उलझे—उलझे से सवालात नहीं लिखे हैं, तो देहरादून के शायर शादाब मशहदी ने अनुरोध सभी परिपूर्ण करो, हमको विनती करना नहीं आता सुना कर माहौल को भक्तिरस से सराबोर कर दिया। देहरादून के सतीश बंसल ने समझाया— बिना बात की बात पर करके वाद—विवाद, जीवन के अनमोल पल मत करिये बर्बाद।
रुड$की से आये महावीर सिंह वीर ने बताया— छोटी—छोटी बातों पर भी देना ध्यान जरूरी है केवल खास नहीं हर चेहरे की मुस्कान जरुरी है। डॉ क्षमा कौशिक ने शिव शंकर की तपस्थली है बद्रीनाथ का द्वार, मोक्ष उसे मिलता है निश्चित जो आता हरिद्वार कह कर देवभूमि को नमन किया। दर्द गढ$वाली ने फर्माया— छोड$ गये है बाबूजी जब से दुनिया, अम्मा की है दुनियादारी बक्से में। कृष्ण कुमार सुकुमार ने जिन्ी का फल्सफा यूँ बयाँ किया— तमाम जिन्ी बेकार तामझाम किया, जरा सी राख बची जब सफर तमाम किया। रुड$की के आेमप्रकाश नूर की शिकायत थी मुझको मेरी उम्मीद से कुछ कम नहीं मिला, लेकिन मेरे मिजाज का मौसम नहीं मिला। कवि ब्रिजेन्द्र हर्ष ने कहा जितनी नफरत मिली, मुझे खैरात में, उतना दूंगा प्यार तुझे सौगात में।
इससे पूर्व माँ शारदा के समक्ष दीप प्रज्वलन, माल्यार्पण, पुष्पांजलि तथा डॉ विजय त्यागी की वाणी वंदना से हुई इस आयोजन की शुरुआत पर हरिद्वार के आमंत्रित कवियों ने भी खूब समां बाँधा। वरिष्ठ गीतकार सुभाष मलिक ने श्शहर तुम्हारी प्रशंसा पर लिख दीं बहुत किताबें मैंने, लेकिन मैं अपनी बस्ती के गीत नहीं लिख पायाश् अपनी पीड$ा दर्ज कराई। साहित्यकार व चेतना पथ सम्पादक अरुण कुमार पाठक ने हर वर्ष दुनियाभर से हरिद्वार में गंगा किनारे डेरा डालने वाले प्रवासी पक्षियों का दूर देश से उड$ कर पंछी जब—जब आते हैं, प्रेम संदेशा साथ लिये, हमें राह नई दिखलाते हैं के साथ स्वागत किया। शब्द गंगा के संस्था अध्यक्ष कुंअर पाल सिंह श्धवलश् ने मनमोहक गीत -पीर पिघली नहीं गीत ढल ना सका, गीत की चाह में जिन्दगी ढल गई रखा।
डॉ मीरा भारद्वाज ने – साधक अथाह नि:शब्द मौन, हद की एक सीमा रखता है, डॉ सुशील त्यागी ने— प्रगल्भपूर्ण वीर हों, करें प्रमाण वेग से, युवा कवि अरविन्द दुबे ने उस बाप का किस तरह, कटता है बुढ$ापा, जिस बाप को बेटे का सहारा नहीं होता के साथ अपनी—अपनी बात कही। सह-संयोजक डॉ अशोक गिरि ने— आआे हम हिन्दी का विकास करे से हिन्दी का महिमा मंडन किया। डॉ अरविन्द नारायण मिश्र ने नदी नहीं मैं गंगा हूँ के साथ माँ गंगा को नमन किया। इस साथ ही डा. पुष्पा रानी वर्मा, डॉ प्रकाश माल्शे, सुमन लता उनियाल, डॉ शिव शंकर जायसवाल, साधुराम पल्लव, दीन दयाल दीक्षित, डॉ मेनका त्रिपाठी, मदन सिंह यादव, डॉ प्रेरणा पांडेय, डॉ एनपी सिंह, प्रशांत कौशिक ने भी काव्य पाठ किया। कार्यक्रम में समाज सेवी जगदीश लाल पाहवा, विजय पाल वघेल, कवियित्री आशा साहनी, अपराजिता, प्रेस क्लब के सचिव दीपक मिश्रा, डॉ मनीष कुमार आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!