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मानकों के विपरित पैट्रोल पम्प स्टेशन का निर्माण कार्य जारी, विभागीय अधिकारियों की भूमिका पर सवाल  

आबादी के बीच बन रहे पेट्रोल पंप स्टेशन से आम जनजीवन को संकट

हरिद्वार । कनखल थाना क्षेत्र में सिंहद्वार और देशरक्षक चौराहे के बीच आबादी वाले क्षेत्र में निर्माणाधीन पैट्रोल पंप स्टेशन को लेकर सवाल उठने शुरू हो गये है। बड़ा सवाल यह है कि आखिर किसकी अनुमति से निर्माण कार्य चल रहा है। विभागीय अधिकारियों की भूमिका पर प्रश्न चिन्ह लगा है।

गौरतलब है कि कि हरिद्वार-रूडकी विकास प्राधिकरण के अधिकारी शहर भर में नियमों के विपरित होने वाले अवैध निर्माणों को पूरा करवाने को लेकर ओर निर्माणकर्ताओं पर मेहरबानी बरसाने को लेकर हमेशा से ही चर्चाओं में रहते हैं। लेकिन अब तो आलम यह है कि भ्रष्टाचार में लिप्त विभागीय अधिकारियों ने कम समय मे ज्यादा धन अर्जित करने की होड़ में आमजन की जिंदगी को दावँ पर लगाने से भी परहेज नही कर रहे है। अधिकारियों के काले कारनामो का एक और जीता जागता उदाहरण सामने आया है। जानकारी मिली है उसे सिंहद्वार देशरक्षक चौराहे के मध्य स्थित गुरुकुल फार्मेसी के सामने एक पेट्रोल पंप लगाया जा रहा है जो कि नियमों के बिल्कुल विपरीत है। क्योंकि न तो चौराहे से 300 मीटर की दूरी और न ही सड़क से 75 फूट की दूरी के मानक का पालन किया जा रहा है। इतना ही नहीं आबादी के बीच बन रहे पैट्रोल पंप स्टेशन के समीप छोटे बच्चों का स्कूल भी संचालित किया जा रहा है।‌ ऐसे में किस प्रकार निर्माण कार्य चल रहा है। समझ से परे है।

बताते चलें कि वर्ष 2018 में भी इस पेट्रोल पंप स्वामी द्वारा इससे संबंधित विभाग से अनुमति माँगी गई थी।लेकिन इससे संबंधित सभी विभागों खाद्यपूर्ति विभाग, एचआरडीए, पीडब्ल्यूडी आदि सभी विभागों से इस पेट्रोल पंप स्वामी को अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मिल पाया था। क्योंकि इसके लिए कुछ मानक पूरे करने होते है, जैसे पेट्रोल पंप आबादी वाले क्षेत्र में ना हो, आस पास में स्कूल ना हो और चोराहे से 300 मीटर दूर होना , सड़क से 75 मीटर की दूरी पर होना चाहिए। यह सारे मानक पूरे न होने से यह निर्माण कार्य पिछले पांच वर्षों से लंबित था। लेकिन अब ज्ञात हुआ है कि दोबारा उक्त निर्माण स्वामी ने अपने धनबल के दुरुपयोग से संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ सांठ गांठ कर अपने मंसूबो को कामयाब करने में लगा हुआ है। जिसको लेकर आमजन में रोष व्याप्त है।‌ यह चर्चा का विषय भी बना हुआ है। विदित हो कि जिस जगह पर यह पेट्रोल पंप लगया जा रहा है।उसके ठीक पीछे छोटे बच्चों का स्कूल है और साथ ही यह एक अतिव्यस्ततम क्षेत्र है , जहां हर समय आवाजाही बनी रहती है। अब सवाल यह उठता है कि पाँच वर्ष पूर्व जिस पेट्रोल पंप को संबंधित विभागों से अनुमति नहीं मिल पाई थी वह अब किस आधार पर बन रहा है।सूत्रों से प्राप्त जानकारी से ज्ञात हुआ है कि इस पेट्रोल पंप को पुनः शुरू किये जाने को लेकर विभागों में मोटा चढ़ावा चढ़ाया गया है। जिसमें सबसे मोटा चढ़ावा हरिद्वार विकास प्राधिकरण में चढ़ाया गया है। इसी वजह से निर्माण कार्य पर कोई कार्यवाही नहीं हो पा रही है। एचआरडीए की कार्यशैली पर भी सवालिया निशान खड़ा हो गया है। इसके साथ उन सभी विभागों पर भी प्रश्नचिन्ह लग गया है जिन्होंने पूर्व में उक्त निर्माण को अनुमति नही दी थी। जैसे जैसे यह निर्माण कार्य तेजी से किया जा रहा है उससे संबंधित विभागीय अधिकारियो भूमिका साफ होती जा रही है। कहीँ ऐसा तो नहीं कि विभागीय अधिकारियों ने चंद रुपयों की चमक में अंधे होकर आमजन व बच्चों की जान दावँ पर लगा दी हो। अब बड़ा सवाल यह है कि इस संबंध में जिलाधिकारी को की गई है। शिकायत को संज्ञान में लेकर क्या इस पेट्रोल पंप पर रोक लगाई जाएगी या नही यह चिंता का विषय है।

सबसे बडा सवाल है कि प्राधिकरण ने किस आधार पर पेट्रोल पम्प का लेआऊट स्वीकृत किया है ? जबकि एन जी टी के आदेशानुसार उक्त स्थल पर पेट्रोल पम्प का लेआऊट स्वीकृत नही किया जा सकत है । पेट्रोल पम्प निर्माण कर्ता और प्राधिकरण अधिकारियों की मिलीभगत का नमूना है उक्त निर्माणाधीन पेट्रोल पम्प । एक तरफ जहाँ मानकों के विपरीत पेट्रोल पम्प का निर्माण किया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ नियम कनूनो की धज्जियां उडा लेआऊट स्वीकृति देने वाले भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा धामी सरकार के जीरो टालरेंस की नीति को भी खुलकर पलीता लगाया जा रहा है ।

इस बाबत पेट्रोल पंप की अनुमति देने वाले विभागीय अधिकारियों हरिद्वार विकास प्राधिकरण व पेट्रोल पंप स्वामी से संपर्क कर उनका जवाब लेने का प्रयास किया गया लेकिन किसी ने भी इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी।

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